Message from Administrator's desk

Dear Parents and Students,

वर्तमान शिक्षा प्रणाली में संस्कार निर्माण कहीं ना कहीं पीछे छूटते हैं। औपचारिक शिक्षा का भारी-भरकम पाठ्यक्रम संस्कार निर्माण को महत्व नहीं दे पाता। नो एंड ग्रो का पाठ्यक्रम जिस प्रकार तैयार किया गया है उसमें सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि बच्चों में बहुत ही सहजता संस्कार निर्माण किया जा सकता है।

नो एंड ग्रो से जुड़ने के पीछे सबसे बड़ी प्रेरणा यही रही है कि इससे हम धार्मिक क्रियाकलाप को व्यवहारिक जीवन में किस प्रकार अपना सकते हैं।

नो एंड ग्रो का पाठ्यक्रम केवल धार्मिक शिक्षा ही नहीं है बल्कि भगवान महावीर के दिखाए गए मार्ग खुद जानने, समझने और अपने जीवन में उतारने का तरीका है। भगaवान महावीर की वाणी 2000 वर्षों के बाद आज भी उतनी ही प्रासंगिकता रखती है।

नो एंड ग्रो भगवान महावीर की वाणी को बहुत ही रोचक और प्रेरणास्पद तरीके से बाल मन पर सरलता और सहजता से अंकित करता है।

नो एंड ग्रो महावीर के दर्शन को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से सर्वांगीण विकास की ओर ले जाता है।नो एंड ग्रो का शिक्षण शास्त्र उद्देश्य परक है।आज के प्रतिस्पर्धा के युग में नैतिक मूल्यों में लगातार गिरावट हो रही है सफलता के मायने बदलते जा रहे हैं। व्यक्तिवाद और उपभोक्तावाद बढ़ रहा है ऐसे में नो एंड ग्रो की बाल केंद्रित गतिविधियों के माध्यम से हम भगवान की वाणी को संस्कार के रूप में भावी पीढ़ी को दे सकते हैं।

नो एंड ग्रो से जुड़ने से अब तक के मिले अनुभव के आधार पर मैं इस बात को पुरजोर कह सकती हूं कि जो बच्चे हमसे नो एंड ग्रो की कक्षाओं के लिए जुड़े हैं उनके व्यक्तित्व में एक विशेष प्रकार का निखार आ रहा है।

Rajni Borar

Jaipur, Rajasthan